आज हम दो ऐसे hindi true love story के बारे में जानेंगे, जिसको पढ़ने के बाद निश्चित ही आपके आंखों से आँसू निकल आएंगे। ये दोनों स्टोरी बहुत ही heart touching & emotional love story है। इन दोनों कहानियों में हम जानेंगे कि एक सच्चा प्यार क्या होता है?
आज अधिकांश लोग सिर्फ अपने मतलब के लिए प्यार करते हैं लेकिन ये 2 true hindi love story आपको दिखाएगी कि प्यार का सही अर्थ क्या होता है? तो चलिए बिना किसी देरी के Best 2 Sad Short True Love Story In Hindi को पढ़ते हैं।
बनारस में प्रीति नाम की एक बहुत ही सुंदर लड़की रहती थी। जो बहुत ही चंचल और हँसमुख लड़की थी। उसके पिताजी की एक बहुत बड़ी कम्पनी थी लेकिन प्रीति के पिताजी में इतना अमीर होने पर भी घमंड नाम की कोई चीज नहीं थीं और वह एक बहुत ही अच्छे आदमी थे।
प्रीति के कॉलेज में फाइनल ईयर की पढ़ाई खत्म हो चुकी थी। अब वह अपने पिताजी की कम्पनी में उनके काम में हाथ बंटाना चाहती थी। वह रोज अपने पिताजी के साथ अपने कम्पनी में जाने लगी। प्रीति कम्पनी में सबसे खूब हंसी मजाक करती रहती थी। उसे देखकर कम्पनी में काम करने वालों को ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता था कि वो इस कम्पनी के मालिक की बेटी थी।
उसका स्वभाव इतना अच्छा था कि हर कोई उसकी तारीफ करता रहता था। लेकिन प्रीति को उसके कम्पनी में नौतिक नाम का लड़का उसे छुप-छुप कर देखता था, शायद वो उसे चाहता था। लेकिन वो उस कम्पनी में बहुत ही छोटे पद पर कार्यरत था। इस कारण नैतिक को अपने प्यार का इजहार करने में डर लगता था।
लेकिन प्रीति को एक दिन उस पर शक हो गया कि नैतिक उसे छुपकर देखता है। इसलिए प्रीति ने नैतिक से पूछा कि क्या तुम मुझसे कुछ कहना चाहते हो? ये बात सुनकर नैतिक का होश उड़ गया और वो डर के मारे कुछ बोल भी नहीं पा रहा था। तभी उसका ऐसा मुह देखकर प्रीति को बहुत जोर से हंसी आ गयी और वो वहाँ से चली गयी।
लेकिन शायद प्रीति को उसके प्यार का एहसास नहीं हुआ था। पर नैतिक को उससे बहुत प्यार हो गया था। एक दिन नैतिक ने तो हद ही कर दी। उसने प्रीति के जन्मदिन पर एक कागज में लपेटकर उसके केबिन में गुलाब का फूल रख दिया। जब प्रीति अपने केबिन में गयी तो उसको गुलाब का फूल रखा हुआ मिला।
फूल देखकर वो तुरन्त समझ गयी कि ये फूल जरूर नैतिक ने ही रखी होगा, लेकिन प्रीति को उससे प्यार ही नहीं हुआ था। फिर प्रीति ने नैतिक को अपने केबिन में बुलाया और उससे बड़ी प्यार से कहा- क्या तुम मुझसे करते हो? इतना सुनते ही नैतिक ने डर के मारे अपनी गर्दन नीचे झुका ली और हिम्मत बांधकर कहा- हाँ, मैम मुझे आपसे पहली ही नजर में न जाने क्यों बेहद प्यार हो गया। जबकि मुझे ये मालूम है कि आप मुझसे कभी भी प्यार नहीं करोगी क्योंकि मैं एक गरीब आदमी हूँ और आप बहुत ही अमीर लड़की हो।
इस बात को सुनकर प्रीति को बहुत बुरा लगा लेकिन वो करती भी क्या? वो तो उससे प्यार भी नहीं करती थी। इसलिए उसने नैतिक ने कहा- नैतिक ये अमीर गरीब क्या लगा रखा है? मैं तो हमेशा से ही तुमलोगों से मिलजुलकर रहती हूँ। इस बात पर नैतिक ने कुछ भी नहीं कहा। फिर प्रीति ने नैतिक का उदास मन देखकर उससे कहा कि मैं तुमसे प्यार तो नहीं कर सकती। मगर मैं तुमसे दोस्ती जरूर करूँगी और ये फूल मैं हमारी दोस्ती के नाम पर ले लेती हूँ।
नैतिक इस बात से बहुत खुश हो गया और उसने सोचा कि शायद प्रीति मैडम को दोस्ती के बाद एक न एक दिन मुझसे प्यार हो ही जायेगा। अब उन दोनों के बीच में गहरी दोस्ती हो चुकी थी। नैतिक भी दिल का बहुत अच्छा लड़का था और पूरी कम्पनी में सबसे ज्यादा सुंदर और समझदार लड़का था। नैतिक और प्रीति की जोड़ी भी बहुत ही सुंदर थी। बस उनकी जोड़ी में सिर्फ अमीर और गरीब का ही अंतर था।
एक दिन नैतिक ने प्रीति से कहा- प्रीति क्या हम रविवार को कहीं घूमने चलें तो प्रीति ने कहा कि ठीक है। फिर वे दोनों रविवार को बनारस के घाट पर घूमने निकल गए और सभी जगह घूम कर वे दोनों घाट के पास ही बैठ गए। तभी प्रीति ने नैतिक को आजमाते हुए पूछा कि
नैतिक क्या सच में तुम मुझसे बेहद प्यार करते हो? नैतिक ने कहा- तुमको क्या मेरी बातें झूठी लगती है? इस पर प्रीति ने कहा- नहीं, बस बात ये थी कि मुझे प्यार पर इतना विश्वास नहीं है और मुझे ये बिल्कुल भी यकीन नहीं होता है कि एक प्यार के लिए इंसान इतना पागल कैसे हो सकता है? प्यार क्या होता है ये तो मुझे नहीं पता क्योंकि मुझे अभी तक किसी से भी प्यार नहीं हुआ और ना ही कभी होगा।
इस बात पर नैतिक को बहुत बुरा लग गया और प्रीति का हाथ पकड़कर कहा- प्रीति एक दिन तुम्हें भी किसी से प्यार जरूर होगा और तब तुमको एहसास होगा कि वास्तव में प्रेम क्या होता है? प्रीति ने कहा- ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा। तुम भी यही हो और मैं भी यहीं हूँ। प्रीति की ऐसी बात सुनकर नैतिक के आंखों में आंसू आ गए।
इतना सुनते ही नैतिक प्रीति को आई लव यू कहकर बनारस के घाट वाले नदी में कूद जाता है। प्रीति ये देखकर बहुत ही डर जाती है और वो वहाँ खड़े कुछ लोगों से उसे बचाने को कहती है। तभी वहाँ खड़े दो-तीन लोग उसे जैसे-तैसे उस नदी ने बाहर निकालते हैं। फिर बड़ी मुश्किल से नैतिक होश में आता है। प्रीति ने कहा- नैतिक जब तुम्हें तैरना ही नहीं आता था तो तुमने इस नदी में छलांग ही क्यों लगाई?
तब नैतिक ने प्रीति से गुस्सा होते हुए कहा- क्या तुम्हें नहीं पता कि मैंने इस नदी में क्यों छलांग लगाई। इस पर प्रीति ने कहा कि मुझे कुछ नहीं पता कि तुमने छलांग क्यों लगाई। तब नैतिक ने उस पर चिल्लाते हुए कहा- मैं इस नदी में इसलिए कूदा ताकि तुमको मेरे सच्चे प्यार पर विश्वास हो जाये।
प्रीति ने कहा- नैतिक, मेरे चक्कर में क्यों तुम अपना वक्त बर्बाद कर रहे हो? मैं सिर्फ तुम्हारी दोस्त हूँ और हमेशा सिर्फ दोस्त ही रहूंगी। ये कहकर प्रीति वहाँ से चली जाती है। नैतिक को इस पर बहुत बुरा लगता है।
प्रीति को भी अब तक नैतिक से कहीं न कहीं प्यार होने लगा था। लेकिन उसको अपने प्यार का एहसास नहीं था। अब प्रीति इसके बाद अपने घर पर आ जाती है। लेकिन वो कुछ परेशान और बेचैन सी लग रही थी और बार-बार उसे नैतिक की याद आ रही थी। साथ ही उसका आई लव यू कहना भी उसके दिल को चीरता हुआ न जाने उससे क्या कह रहा था?
तभी प्रीति को अचानक याद आया कि वो नैतिक को तो उस घाट पर ही छोड़कर आ गयी थी। उसने रात को ही नैतिक को फोन किया। लेकिन उसका फोन ही बंद था। तभी प्रीति ने सोचा कि नैतिक से मैं कल कम्पनी में ही बात कर लुंगी।
अगले दिन प्रीति जब अपने कम्पनी में पहुँची तो सीधा नैतिक के पास ही पहुँची लेकिन नैतिक उस दिन कम्पनी में नहीं आया था। ये देखकर प्रीति को बहुत अजीब लगा। उसे अब रहा नहीं जा रहा था। वो तुरंत अपने पिताजी के केबिन में गयी और बोली- पापा क्या आज नैतिक नहीं आएगा। उसके पिताजी ने कहा- हाँ बेटा आज वो नहीं आएगा। मगर मुझे ये नहीं पता कि वो क्यों नहीं आया?
शायद उसे कुछ काम होगा। इतना सुनकर प्रीति ने केबिन से बाहर आकर नैतिक को फिर से फोन लगाया। लेकिन उसका फोन फिर से बंद बता रहा था। अब प्रीति बेचैन सी होने लगी थी। लेकिन फिर उसने सोचा कि चलो कोई बात नहीं मैं नैतिक से अगले दिन मिल लुंगी।
अगले दिन भी नैतिक कम्पनी में नहीं आया। अब प्रीति को बिल्कुल रहा नहीं गया। वो तुरन्त अपने पापा के केबिन में पहुँचकर किसी फ़ाइल में नैतिक के घर का पता ढूंढने लगी। ये देखकर उसके पापा ने पुछा कि क्या हुआ बेटी? तुम नैतिक के एड्रेस के लिए इतना परेशान क्यों हो रही हो?
प्रीति ने बिना बोले ही नैतिक का पता लेकर वहाँ से चली गयी। अब शायद प्रीति को नैतिक का प्यार याद आ रहा था। जब वो नैतिक के घर पर पहुँची तो वहाँ पर उसके मकान मालिक ने कहा कि बेटी वो यहाँ पर किराए पर रहता था। अब वो कल सुबह ही दिल्ली चला गया क्योंकि उसके माता पिता दिल्ली में ही रहते हैं।
उसके मकान मालिक ने ये भी कहा कि नैतिक कुछ परेशान लग रहा था और जाते-जाते उसने ये भी कहा कि अब वो बनारस कभी नहीं आएगा। ये सुनकर प्रीति के आंखों में आंसू आ गयी और वो सीधा अपने घर चली गयी। उसे नैतिक की बहुत याद आ रही थी और उसके साथ बिताए हुए सारे पल उसके आंखों के सामने एक सपने के तरह दिखने लगे थे।
साथ ही उसे नैतिक की एक बात याद आने लगी थी कि उसने कहा था एक दिन तुम्हें भी मेरे प्यार का एहसास जरूर होगा और वाकई में वो दिन प्रीति के जीवन में आ ही गया था।
उसे नैतिक की याद हमेशा सत्ता रही थी और मन ही मन इसी इंतजार में रहती थी कि तुम कब आओगे नैतिक? अब उसका जीवन नैतिक के बिना अधूरा था और उसने अब कम्पनी में भी जाना छोड़ दिया और हर रोज सिर्फ नैतिक का ही इंतजार सिर्फ ये सोचकर करती है कि नैतिक एक दिन जरूर आएगा। अगर सही समय पर उसने नैतिक के प्यार को स्वीकार कर लिया होता तो शायद उसे आज ये दिन नहीं देखना पड़ता।
आपको ये दर्द भरी प्रेम कहानी कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बताएं।
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