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जुलाई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आखो को स्वस्थ रखने के ७ गुण

आंखों को स्वस्थ रखने के गुण आंखें, हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं। ये बहुत नाजुक होती हैं, इसलिए उनकी पूरी देखभाल करें, थोड़ी सी भी परेशानी हो तो उसे नज़रअंदाज़ न करें। अगर आंखों से संबंधित समस्याओं को आप लंबे समय तक नज़रअंदाज़ करेंगे तो दृष्टि प्रभावित हो सकती है या हमेशा के लिए आंखों की रोशनी छिन सकती है। गैजेट्स के बढ़ते चलन ने आंखों के स्वास्थ को लेकर खतरा बढ़ा दिया है, ऐसे में डिजिटल आई स्ट्रेन आंखों की एक बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है। तो जानिए कि आंखों से संबंधित सामान्य समस्याएं कौन-कौनसी हैं, इन्हें स्वस्थ रखने के लिए कौन-कौनसे जरूरी उपाय किए जाएं और गैजेट्स का इस्तेमाल करते समय कौन-कौनसी सावधानियां रखना जरूरी हैं। आंखों से संबंधित सामान्य समस्याएं आंखों से संबंधित कईं समस्याएं होती हैं, जिनमें से कुछ बहुत मामूली होती हैं तो कुछ बहुत गंभीर। लेकिन आंखें बहुत संवेदनशील होती हैं, इसलिए समस्या मामूली भी हो तो खुद से आंखों का इलाज न करें, डॉक्टर से संपर्क करें। ड्राय आई सिंड्रोम गैजेट्स के बढ़ते प्रचलन से ड्राई आई सिंड्रोम की समस्‍याएं बढ़ती ही ज...

जिंदगी क्या है ?

जिंदगी भगवान का दिया एक नजराना है - इसलिए इसे ग्रहणकरो। जिंदगी एक लम्बी यात्रा है - इसके हर पड़ाव को हँसते हुए पूरा करो। जिंदगी एक खेल है---इसे जितने के लिए आखिरी तक पूरे मन से खेलते रहो। जिंदगी एक कर्तव्य है -इसलिए हर व्यक्ति और समाज के प्रति हर कर्तव्य को निभाओ। कभी कभी मन में सवाल उठता है जिंदगी क्या है? हमारी जिंदगी का क्या मकसद है? हम किस लिए जिंदगी जिंदगी को जी रहे है? जिंदगी भगवान का दिया एक नजराना है - इसलिए इसे ग्रहणकरो। जिंदगी एक लम्बी यात्रा है - इसके हर पड़ाव को हँसते हुए पूरा करो। जिंदगी एक खेल है---इसे जितने के लिए आखिरी तक पूरे मन से खेलते रहो। जिंदगी एक कर्तव्य है -इसलिए हर व्यक्ति और समाज के प्रति हर कर्तव्य को निभाओ। जिंदगी एक गीत है - इसे ख़ुशी से गुनगुनाओ। खुशहाल जिंदगी जीने के तरीके---- आशावादी दृष्टिकोण रखे-- जिंदगी को अगर खुशहाल और मजेदार बनाना चाहते है तो अपना दृष्टिकोण आशा से परिपूर्ण रखे। जिंदगी में धूप-छांव तो आएगी ही किन्तु अगर इस आशा से हम जिये कि हर अँधेरी रात के बाद सुबह का उजाला जरूर होता है तो आप अपनी जिंदगी को खुशनुमा बना सकते है। हँसमुख ...

औषधीय गुण वाले पेड़

औषधीय पौधे और जड़ी बूटियां औषिधीय पौधों का महत्व :- कुदरत के दिये गये वरदानों में पेड़-पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। पेड़-पौधे मानवीय जीवन चक्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिकानिभाते हैं। इसमें न केवल ☰ Do स्वास्थ्य आयुष औषधीय पौधे और जड़ी बूटियां अवस्था: प्रकाशित औषधीय पौधे और जड़ी बूटियां औषिधीय पौधों का महत्व औषधीय पेड़–पौधे,जड़ी-बूटियां और उनके वानस्पतिक नाम औषिधीय पौधों का महत्व कुदरत के दिये गये वरदानों में पेड़-पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है। पेड़-पौधे मानवीय जीवन चक्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसमें न केवल भोजन संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ती ही होती बल्कि जीव जगत से नाजुक संतुलन बनाने में भी ये आगे रहते हैं-कार्बन चक्र हो या भोजना श्रृंखला के पिरामिड में भी ये सर्वोच्च स्थान ही हासिल करते हैं। इनकी उपयोगिता को देखते हुए इनको अनेक संवर्गों में बांटा गया है। इनमें औषधीय पौधे न केवल अपना औषधीय महत्व रखते हैं आय का भी एक जरिया बन जाते हैं। हमारे शरीर को निरोगी बनाये रखने में औषधीय पौधों का अत्यधिक महत्व होता है यही वजह है कि भारतीय पुराणों, उपनिषदों, रामायण एवं महाभारत जैसे प्रमाणि...

भगवान शिव के 10 रुद्रावतार

शिव के 19 चमत्कारी अवतार हैं, आपको नहीं होगी यह जानकारी: भगवान विष्णु के अवतार के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन भगवान शिव के अवतारों के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे और ब्रह्मा के अवतारों के बारे में तो लोग कुछ भी नहीं जानते। गुरु दत्तात्रेय तीनों ही देवताओं के अवतार थे। हालांकि अनसुईया को तीन पुत्र हुए थे जिसमें से एक पुत्र चंद्रमा थे जो कि ब्रह्मा के अवतार थे। आज हम आपको भगवान शिव के अवतारों के बारे में बताते हैं।   शिव महापुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों का वर्णन मिलता है। कहीं कहीं उनके 24 तो कहीं उन्नीस अवतारों के बारे में उल्लेख मिलता है। वैसे शिव के अंशावतार भी बहुत हुए हैं। हालांकि शिव के कुछ अवतार तंत्रमार्गी है तो कुछ दक्षिणमार्गी।   शिव के दसावतार:- 1. महाकाल, 2. तारा, 3. भुवनेश, 4. षोडश, 5. भैरव, 6. छिन्नमस्तक गिरिजा, 7. धूम्रवान, 8. बगलामुख, 9. मातंग और 10. कमल नामक अवतार हैं। ये दसों अवतार तंत्रशास्त्र से संबंधित हैं। शिव के अन्य 11 अवतार जिन्हें रुद्र कहते हैं:-  1. कपाली, 2. पिंगल, 3. भीम, 4. विरुपाक्ष, 4. विलोहित, 6. शास्ता, 7. अजपाद, ...

भगवान शिव के जन्म की पौराणिक कहानी : जानिए कब, कहां और कैसे प्रकट हुए शिव

श्रीमद् भागवत के अनुसार एक बार जब  भगवान  विष्णु और ब्रह्मा अहंकार से अभिभूत हो स्वयं को श्रेष्ठ बताते हुए लड़ रहे थे तब एक जलते हुए खंभे से  भगवान शिव  प्रकट हुए। विष्णु पुराण में वर्णित  शिव  के जन्म की कहानी शायद  भगवान शिव  का एकमात्र बाल रूप वर्णन है। इसके अनुसार ब्रह्मा को एक बच्चे की जरूरत थी। हम सबके प्रिय भगवान शिव का जन्म नहीं हुआ है वे स्वयंभू हैं। लेकिन पुराणों में उनकी उत्पत्ति का विवरण मिलता है। विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा भगवान विष्णु की नाभि कमल से पैदा हुए जबकि शिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए बताए गए हैं। विष्णु पुराण के अनुसार माथे के तेज से उत्पन्न होने के कारण ही शिव हमेशा योगमुद्रा में रहते हैं।   श्रीमद् भागवत के अनुसार एक बार जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा अहंकार से अभिभूत हो स्वयं को श्रेष्ठ बताते हुए लड़ रहे थे तब एक जलते हुए खंभे से भगवान शिव प्रकट हुए।   विष्णु पुराण में वर्णित शिव के जन्म की कहानी शायद भगवान शिव का एकमात्र बाल रूप वर्णन है। इसके अनुसार ब्रह्मा को एक बच्चे की जरूरत थी। ...

सत्यनारायण भगवान की कथा

सत्यनारायण व्रतकथा स्कन्दपुराण के रेवाखण्ड से संकलित की गई है। सत्य को नारायण (विष्णु के रूप में पूजना ही सत्यनारायण की पूजा है। इसका दूसरा अर्थ यह है कि संसार में एकमात्र नारायण ही सत्य हैं, बाकी सब माया है। भगवान की पूजा कई रूपों में की जाती है, उनमें से उनका सत्यनारायण स्वरूप इस कथा में बताया गया है। सत्यनारायण भगवान की कथा लोक में प्रचलित है। हिन्दू धर्मावलम्बियों के बीच सबसे प्रतिष्ठित व्रत कथा के रूप में भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की सत्यनारायण व्रत कथा है। कुछ लोग मनौती पूरी होने पर, कुछ अन्य नियमित रूप से इस कथा का आयोजन करते हैं। सत्यनारायण व्रत कथा के दो भाग हैं, व्रत-पूजा एवं कथा। सत्यनारायण व्रतकथा स्कन्दपुराण के रेवाखण्ड से संकलित की गई है। सत्य को नारायण (विष्णु के रूप में पूजना ही सत्यनारायण की पूजा है। इसका दूसरा अर्थ यह है कि संसार में एकमात्र नारायण ही सत्य हैं, बाकी सब माया है। भगवान की पूजा कई रूपों में की जाती है, उनमें से उनका सत्यनारायण स्वरूप इस कथा में बताया गया है। इसके मूल पाठ में पाठान्तर से लगभग 170 श्लोक संस्कृत भाषा में उपलब्ध है ...