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कैसे एक कुत्ते को प्रशिक्षित करे

क्या आप अपने घर एक नया डॉग लाने का सोच रहे हैं? क्या आप अपने डॉग को ज्यादा अच्छे से बर्ताव करना सिखाना चाहते हैं? क्या आप अपने डॉग को अपनी जरूरत के हिसाब से प्रशिक्षित करना चाहते हैं, बजाय इसके, कि वह अपनी ज़रूरतें पूरी करे? किसी प्रोफेशनल ट्रेनर के द्वारा अपने डॉग को क्लास देना अच्छा आईडिया है, लेकिन अपने डॉग को इस तरह की क्लासेस करा पाना हर किसी के बजट की बात नहीं है। ये सलाह आपके डॉग साथी की ट्रेनिंग शुरू करने के लिए सही रहेंगी। किसी डॉग की ट्रेनिंग को लेकर न जाने कितने ही विचार और दृष्टिकोण मौजूद हैं, इसलिए पहले खुद से रिसर्च करें और खुद ही तय करें, कि आपके लिए और आपके डॉग के लिए क्या उपयुक्त रहेगा। अपने डॉग की ट्रेनिंग के लिए, आप चाहे जिस भी दृष्टिकोण का चयन कर रहे हैं, लेकिन अगर आप खुद ही उसे ट्रेनिंग देना चाहते हैं, तो इसके लिए पहले आपको उसके साथ अच्छा रिलेशनशिप बनाना होगा।

विधि 1 का 13:
डॉग को ट्रेनिंग के लिए तैयार करना (Preparing for Dog Training)

(1) आपकी लाइफस्टाइल में फिट होने लायक एक डॉग चुनें: सदियों से की जा रही ब्रीडिंग के बाद, अब दुनिया में डॉग की ना जाने कितनी ही प्रजातियाँ मौजूद हैं। वैसे तो दुनिया में हर तरह की लाइफस्टाइल से मिलता हुआ एक डॉग तो हमेशा उपलब्ध होता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि सारे डॉग्स आपकी खास ज़रूरतों में फिट ही बैठें। उदाहरण के लिए, अगर आपको ज्यादा आराम करना अच्छा लगता है, तो आपको जैक रसेल टेरिएर (Jack Russell Terrier) नहीं लेना चाहिए, क्योंकि ये अपने लगातार भौंकने और हाई एनर्जी के लिए जाना जाता है।[२] इसकी जगह पर आपको एक बुलडॉग ले आना चाहिए, जो पूरे दिन सोफे पर बैठे रहने के लिए जाना जाता है।[३] अलग-अलग ब्रीड्स (प्रजाति) की पर्सनालिटी और उनकी देखभाल के बारे में रिसर्च कर लें। जिन लोगों के पास डॉग हो, उनसे उसकी ब्रीड के और उसकी पर्सनालिटी के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश करें। मिक्स ब्रीड वाला डॉग भी आपके लिए बेहतर होगा, क्योंकि इसके अंदर अलग-अलग ब्रीड्स की पर्सनालिटी मौजूद होंगी, जिसे शायद आप पसंद करें।
  • जैसे कि, ज्यादातर डॉग्स की उम्र लगभग 10-15 वर्ष ही होती है, तो एक डॉग लेना मतलब, लम्बे समय के लिए एक ज़िम्मेदारी लेना है। यह सुनिश्चित कर लें कि उस प्रजाति का स्वभाव आपकी लाइफस्टाइल से अच्छा मेल खाता है।
  • अगर आपने अभी तक अपनी फैमिली बनाना शुरू नहीं किया है, तो इस बात का भी ध्यान रखें कि क्या आने वाले समय में आपके घर में छोटे बच्चे भी होंगे। बच्चों वाले घर में कुछ तरह की ब्रीड्स को रखने की सलाह नहीं दी जाती है।
(2) महत्वाकांक्षी (aspirational) डॉग न लायें: अपने साथ ईमानदार रहें और अपनी लाइफस्टाइल के अनुकूल ही डॉग लेकर आएँ। बस इसलिए क्योंकि आप अपने लिए भी एक ज्यादा हैल्दी लाइफस्टाइल शुरू करना चाहते हैं, एक ऐसा डॉग न लेकर आ जाएँ, जिसके लिए बहुत ज्यादा एक्टिविटी चाहिए होती है। अगर आप किसी कारणवश अपने इस हाई-एनर्जी वाले डॉग को एक्सरसाइज़ नहीं करवा पाते हैं, तो आप और आपका डॉग दोनों ही निराश हो जायेंगे।
उस ब्रीड की जरूरतों और उसके स्वभाव के बारे में लिख लें, और ये भी लिखें कि आप उन जरूरतों को किस तरह से पूरा करेंगे।
अगर आपको इसके लिए अपनी लाइफस्टाइल में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करना पड़े, तो फिर आपको एक अलग तरह के डॉग का चुनाव करना चाहिए।
(3) अपने डॉग को एक प्रैक्टिकल नाम दें: ऐसा कोई नाम, जिसे वो आसानी से समझ सके, इससे आप ट्रेनिंग के दौरान उसका ध्यान केन्द्रित रख सकते हैं। इस नाम में स्पष्ट और हार्ड आवाज़ भी होना चाहिए, जिसे आपका डॉग पहचान सके। इस तरह के नाम जैसे “बडी” (Buddy) या “रोवर” (Rover) या “बी बी” (Bee Bee) में नियमित इंसानों की बातचीत से अलग तरह की आवाज होती है, जिसे आपका डॉग आसानी से सुन सकता है।
जब आप खेल रहे हों, उसे सहला रहे हों, ट्रेनिंग दे रहे हों, या उसका ध्यान अपनी तरफ करना चाहते हों, हर वक्त उसका नाम लेते रहें।
अगर आपके पुकारने पर आपका डॉग आपकी ओर देखता है, तो आप समझ जाइये कि उसने अपना नाम सीख लिया है।
उसका उसके नाम के साथ एक पॉजिटिव कनेक्शन बनाइये, ताकि आपके पुकारने पर वह तुरंत ध्यान दे। जब वो उसके नाम पर आपको प्रतिक्रिया दे, तो उसकी तारीफ करें और उसे ट्रीट भी दें।
(4) ट्रेनिंग के लिए पर्याप्त समय तैयार करें: आपको शुरुआत में लगभग 5 मिनट की ट्रेनिंग से शुरुआत करना चाहिए, और इसे कभी भी 20 मिनट से ज्यादा ना करने दें। खासकर पपीज़, जिनके पास ध्यान की कमी होती है, और वो आसानी से ऊब जाते हैं। बिल्कुल वैसे ही, जैसे कि एक छोटा बच्चा किया करता है।
ऐसा नहीं है, कि आप सिर्फ इन्हीं सेशन में आपके डॉग को ट्रेनिंग देंगे। सच मानें, तो ये ट्रेनिंग तो हर उस समय चलती रहती है, आप जब भी अपने डॉग के सामने रहते हैं। जब-जब आप उसके पास रहेंगे, उससे बाते करेंगे, वो आपसे सीखता रहेगा।
डॉग में बुरी आदतें तब विकसित होती हैं जब डॉग के मालिक किसी एक समर्पित ट्रेनिंग सेशन के बाद में उसे बुरा व्यवहार करने देते हैं। इसलिए ट्रेनिंग सेशन के बाद भी, अपने डॉग पर एक नज़र रखें। अगर वो ट्रेनिंग सेशन के दौरान सारी चीज़ें करता है, तो ट्रेनिंग के बाद में भी उसके इन सारी बातों को याद रखने की पुष्टि करें।
(5) ट्रेनिंग सेशंस के लिए अपने आपको मानसिक रूप से तैयार कीजिये: जब आप अपने डॉग के साथ काम कर रहे हों, तो शांत और न्यूट्रल रहें। आपके तरफ से बेचैनी और घबराहट होना, ट्रेनिंग के फल पर नेगेटिव प्रभाव डाल सकता है। आपको इसका ध्यान होना चाहिये कि ट्रेनिंग का उद्देश्य पपी में अच्छी आदतें डालना है और बुरी आदतों को नजरअंदाज करना है। हो सकता है कि यह सुनने में जरा सा कठिन लगे, लेकिन एक अच्छा ट्रेन्ड डॉग बनाने के लिए संकल्प और दृढ़-निश्चय की आवश्यकता होती है।
(6) उपयुक्त उपकरण का चयन कीजिये: आपको शुरुआत में एक छह फुट की रस्सी और फ्लैट कॉलर (flat collar) या मार्टिनगेल (martingale) कॉलर की जरूरत हो सकती है, इसके अलावा आपकी ट्रीट्स की। अन्य उपकरण जैसे “प्रॉमिस लीडर (Promise Leader)” हेड हाल्टर, एक “नो पुल (No Pull)” हार्नेस, एक धातु का ट्रेनिंग कॉलर, या कोई अन्य उपकरण। पपीज़ या छोटे कुत्तों को सामान्यतयः सख्त उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। उनसे बड़े कुत्तों को ध्यान दिलाने के लिए अस्थायी रूप से विशिष्ट उपकरणों की आवश्यकता होती है (जैसे “प्रॉमिस लीडर”)।

विधि 2 का 13:
सामान्य ट्रेनिंग के नियमों को लागू करना (Applying General Training Principles)
(१) अपनी उम्मीदों और अपने मूड को मैनेज करें: ट्रेनिंग का हर एक दिन परफेक्ट नहीं होने वाला, लेकिन इससे निराश होने की कोई जरूरत नहीं है और न ही इसका असर अपने डॉग पर पड़ने दें। अपने व्यवहार और मनोभाव को अनुकूल बनाएं ताकि आपके डॉग की सीखने की योग्यता और उसके विश्वास को प्रोत्साहन मिले। अगर आपका मूड शांत है तो सामान्य रूप से आपका डॉग भी शांत होगा।

● अगर आपका डॉग आपके खराब मूड से डर जाता है, तो वो कुछ भी नया नहीं सीखेगा। वह सावधान हो जाएगा और आपका विश्वास नहीं करेगा।

● डॉग की ट्रेनिंग क्लासेस और एक अच्छा ट्रेनर आपके व्यवहार में एक ऐसा सुधार ला सकता है, जिससे आपको अपने डॉग के साथ सफलता मिलेगी।
(२)
अपने डॉग के स्वभाव पर ध्यान रखिये:
 सभी डॉग्स के अलग-अलग स्वभाव होते हैं। बच्चों की तरह ही अलग-अलग विभिन्न प्रजातियाँ भी अलग-अलग तरह से पढ़ाई करती हैं और उनकी क्षमता भी अलग-अलग होती है। कुछ डॉग जिद्दी होते हैं और वो हर बात के लिए आपको चुनौती देते हैं। कुछ आपको खुश करने के लिए पीछे की तरफ़ झुक जायेंगे। आपको अपने डॉग के स्वभाव के अनुसार अपनी ट्रेनिंग तकनीकों को एडजस्ट करना होगा।


क्या आप अपने घर एक नया डॉग लाने का सोच रहे हैं? क्या आप अपने डॉग को ज्यादा अच्छे से बर्ताव करना सिखाना चाहते हैं? क्या आप अपने डॉग को अपनी जरूरत के हिसाब से प्रशिक्षित करना चाहते हैं, बजाय इसके, कि वह अपनी ज़रूरतें पूरी करे? किसी प्रोफेशनल ट्रेनर के द्वारा अपने डॉग को क्लास देना अच्छा आईडिया है, लेकिन अपने डॉग को इस तरह की क्लासेस करा पाना हर किसी के बजट की बात नहीं है। ये सलाह आपके डॉग साथी की ट्रेनिंग शुरू करने के लिए सही रहेंगी। किसी डॉग की ट्रेनिंग को लेकर न जाने कितने ही विचार और दृष्टिकोण मौजूद हैं, इसलिए पहले खुद से रिसर्च करें और खुद ही तय करें, कि आपके लिए और आपके डॉग के लिए क्या उपयुक्त रहेगा।[१] अपने डॉग की ट्रेनिंग के लिए, आप चाहे जिस भी दृष्टिकोण का चयन कर रहे हैं, लेकिन अगर आप खुद ही उसे ट्रेनिंग देना चाहते हैं, तो इसके लिए पहले आपको उसके साथ अच्छा रिलेशनशिप बनाना होगा।

विधि 1 का 13:
डॉग को ट्रेनिंग के लिए तैयार करना (Preparing for Dog Training)

  1. 1
    आपकी लाइफस्टाइल में फिट होने लायक एक डॉग चुनें: सदियों से की जा रही ब्रीडिंग के बाद, अब दुनिया में डॉग की ना जाने कितनी ही प्रजातियाँ मौजूद हैं। वैसे तो दुनिया में हर तरह की लाइफस्टाइल से मिलता हुआ एक डॉग तो हमेशा उपलब्ध होता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि सारे डॉग्स आपकी खास ज़रूरतों में फिट ही बैठें। उदाहरण के लिए, अगर आपको ज्यादा आराम करना अच्छा लगता है, तो आपको जैक रसेल टेरिएर (Jack Russell Terrier) नहीं लेना चाहिए, क्योंकि ये अपने लगातार भौंकने और हाई एनर्जी के लिए जाना जाता है।[२] इसकी जगह पर आपको एक बुलडॉग ले आना चाहिए, जो पूरे दिन सोफे पर बैठे रहने के लिए जाना जाता है।[३] अलग-अलग ब्रीड्स (प्रजाति) की पर्सनालिटी और उनकी देखभाल के बारे में रिसर्च कर लें। जिन लोगों के पास डॉग हो, उनसे उसकी ब्रीड के और उसकी पर्सनालिटी के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश करें। मिक्स ब्रीड वाला डॉग भी आपके लिए बेहतर होगा, क्योंकि इसके अंदर अलग-अलग ब्रीड्स की पर्सनालिटी मौजूद होंगी, जिसे शायद आप पसंद करें।
    • जैसे कि, ज्यादातर डॉग्स की उम्र लगभग 10-15 वर्ष ही होती है, तो एक डॉग लेना मतलब, लम्बे समय के लिए एक ज़िम्मेदारी लेना है। यह सुनिश्चित कर लें कि उस प्रजाति का स्वभाव आपकी लाइफस्टाइल से अच्छा मेल खाता है।
    • अगर आपने अभी तक अपनी फैमिली बनाना शुरू नहीं किया है, तो इस बात का भी ध्यान रखें कि क्या आने वाले समय में आपके घर में छोटे बच्चे भी होंगे। बच्चों वाले घर में कुछ तरह की ब्रीड्स को रखने की सलाह नहीं दी जाती है।
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    महत्वाकांक्षी (aspirational) डॉग न लायें: अपने साथ ईमानदार रहें और अपनी लाइफस्टाइल के अनुकूल ही डॉग लेकर आएँ। बस इसलिए क्योंकि आप अपने लिए भी एक ज्यादा हैल्दी लाइफस्टाइल शुरू करना चाहते हैं, एक ऐसा डॉग न लेकर आ जाएँ, जिसके लिए बहुत ज्यादा एक्टिविटी चाहिए होती है। अगर आप किसी कारणवश अपने इस हाई-एनर्जी वाले डॉग को एक्सरसाइज़ नहीं करवा पाते हैं, तो आप और आपका डॉग दोनों ही निराश हो जायेंगे।
    • उस ब्रीड की जरूरतों और उसके स्वभाव के बारे में लिख लें, और ये भी लिखें कि आप उन जरूरतों को किस तरह से पूरा करेंगे।
    • अगर आपको इसके लिए अपनी लाइफस्टाइल में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करना पड़े, तो फिर आपको एक अलग तरह के डॉग का चुनाव करना चाहिए।
  3. 3
    अपने डॉग को एक प्रैक्टिकल नाम दें: ऐसा कोई नाम, जिसे वो आसानी से समझ सके, इससे आप ट्रेनिंग के दौरान उसका ध्यान केन्द्रित रख सकते हैं। इस नाम में स्पष्ट और हार्ड आवाज़ भी होना चाहिए, जिसे आपका डॉग पहचान सके। इस तरह के नाम जैसे “बडी” (Buddy) या “रोवर” (Rover) या “बी बी” (Bee Bee) में नियमित इंसानों की बातचीत से अलग तरह की आवाज होती है, जिसे आपका डॉग आसानी से सुन सकता है।
    • जब आप खेल रहे हों, उसे सहला रहे हों, ट्रेनिंग दे रहे हों, या उसका ध्यान अपनी तरफ करना चाहते हों, हर वक्त उसका नाम लेते रहें।
    • अगर आपके पुकारने पर आपका डॉग आपकी ओर देखता है, तो आप समझ जाइये कि उसने अपना नाम सीख लिया है।
    • उसका उसके नाम के साथ एक पॉजिटिव कनेक्शन बनाइये, ताकि आपके पुकारने पर वह तुरंत ध्यान दे। जब वो उसके नाम पर आपको प्रतिक्रिया दे, तो उसकी तारीफ करें और उसे ट्रीट भी दें।
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    ट्रेनिंग के लिए पर्याप्त समय तैयार करें: आपको शुरुआत में लगभग 5 मिनट की ट्रेनिंग से शुरुआत करना चाहिए, और इसे कभी भी 20 मिनट से ज्यादा ना करने दें। खासकर पपीज़, जिनके पास ध्यान की कमी होती है, और वो आसानी से ऊब जाते हैं। बिल्कुल वैसे ही, जैसे कि एक छोटा बच्चा किया करता है।
    • ऐसा नहीं है, कि आप सिर्फ इन्हीं सेशन में आपके डॉग को ट्रेनिंग देंगे। सच मानें, तो ये ट्रेनिंग तो हर उस समय चलती रहती है, आप जब भी अपने डॉग के सामने रहते हैं। जब-जब आप उसके पास रहेंगे, उससे बाते करेंगे, वो आपसे सीखता रहेगा।
    • डॉग में बुरी आदतें तब विकसित होती हैं जब डॉग के मालिक किसी एक समर्पित ट्रेनिंग सेशन के बाद में उसे बुरा व्यवहार करने देते हैं। इसलिए ट्रेनिंग सेशन के बाद भी, अपने डॉग पर एक नज़र रखें। अगर वो ट्रेनिंग सेशन के दौरान सारी चीज़ें करता है, तो ट्रेनिंग के बाद में भी उसके इन सारी बातों को याद रखने की पुष्टि करें।
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    ट्रेनिंग सेशंस के लिए अपने आपको मानसिक रूप से तैयार कीजिये: जब आप अपने डॉग के साथ काम कर रहे हों, तो शांत और न्यूट्रल रहें। आपके तरफ से बेचैनी और घबराहट होना, ट्रेनिंग के फल पर नेगेटिव प्रभाव डाल सकता है। आपको इसका ध्यान होना चाहिये कि ट्रेनिंग का उद्देश्य पपी में अच्छी आदतें डालना है और बुरी आदतों को नजरअंदाज करना है। हो सकता है कि यह सुनने में जरा सा कठिन लगे, लेकिन एक अच्छा ट्रेन्ड डॉग बनाने के लिए संकल्प और दृढ़-निश्चय की आवश्यकता होती है।
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    उपयुक्त उपकरण का चयन कीजिये: आपको शुरुआत में एक छह फुट की रस्सी और फ्लैट कॉलर (flat collar) या मार्टिनगेल (martingale) कॉलर की जरूरत हो सकती है, इसके अलावा आपकी ट्रीट्स की। अन्य उपकरण जैसे “प्रॉमिस लीडर (Promise Leader)” हेड हाल्टर, एक “नो पुल (No Pull)” हार्नेस, एक धातु का ट्रेनिंग कॉलर, या कोई अन्य उपकरण। पपीज़ या छोटे कुत्तों को सामान्यतयः सख्त उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। उनसे बड़े कुत्तों को ध्यान दिलाने के लिए अस्थायी रूप से विशिष्ट उपकरणों की आवश्यकता होती है (जैसे “प्रॉमिस लीडर”)।[४]

विधि 2 का 13:
सामान्य ट्रेनिंग के नियमों को लागू करना (Applying General Training Principles)

  1. 1
    अपनी उम्मीदों और अपने मूड को मैनेज करें: ट्रेनिंग का हर एक दिन परफेक्ट नहीं होने वाला, लेकिन इससे निराश होने की कोई जरूरत नहीं है और न ही इसका असर अपने डॉग पर पड़ने दें। अपने व्यवहार और मनोभाव को अनुकूल बनाएं ताकि आपके डॉग की सीखने की योग्यता और उसके विश्वास को प्रोत्साहन मिले। अगर आपका मूड शांत है तो सामान्य रूप से आपका डॉग भी शांत होगा।
    • अगर आपका डॉग आपके खराब मूड से डर जाता है, तो वो कुछ भी नया नहीं सीखेगा। वह सावधान हो जाएगा और आपका विश्वास नहीं करेगा।
    • डॉग की ट्रेनिंग क्लासेस और एक अच्छा ट्रेनर आपके व्यवहार में एक ऐसा सुधार ला सकता है, जिससे आपको अपने डॉग के साथ सफलता मिलेगी।
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    अपने डॉग के स्वभाव पर ध्यान रखिये: सभी डॉग्स के अलग-अलग स्वभाव होते हैं। बच्चों की तरह ही अलग-अलग विभिन्न प्रजातियाँ भी अलग-अलग तरह से पढ़ाई करती हैं और उनकी क्षमता भी अलग-अलग होती है। कुछ डॉग जिद्दी होते हैं और वो हर बात के लिए आपको चुनौती देते हैं। कुछ आपको खुश करने के लिए पीछे की तरफ़ झुक जायेंगे। आपको अपने डॉग के स्वभाव के अनुसार अपनी ट्रेनिंग तकनीकों को एडजस्ट करना होगा।
  3. 3
    तुरंत पुरस्कार दीजिये: डॉग्स को इतनी लम्बी अवधि का कारण और प्रभाव नहीं समझ आता। वे तेज़ सीखते हैं। आपको अपने डॉग को आपके मनचाहा व्यवहार करने पर या फिर से उसे दोहराने के लिए 2 सेकंड के अन्दर प्रशंसा या पुरस्कार देना चाहिए। अगर आप ज्यादा समय लगायेंगे, तो वो उस पुरस्कार को उस काम से नहीं जोड़ेगा, जिसे आपने उससे करने को कहा था।
    • इससे अधिक, आपको ये भी सुनिश्चित करना चाहिए, आप उसे सही समय पर सही काम करने के लिए ही प्रशंसा दे रहे हैं। अन्यथा, आप उसे उन चीज़ों के लिए भी पुरस्कृत कर रहे होंगे जो आप नहीं चाह्ते हैं।
    • मान लीजिये, आप अपने डॉग को “बैठना” (sit) कमांड सिखा रहे हैं। वह एक क्षण के लिए बैठता है, लेकिन जब तक आप उसकी तारीफ करते हैं या पुरस्कार देते हैं, तब तक वह वापस खड़ा हो जाता है। इस मामले में, वह समझेगा कि आप उसे खड़े होने के लिए पुरस्कृत कर रहे हैं न कि बैठने के लिए।
    क्लिकर ट्रेनिंग के बारे में विचार कीजिये: क्लिकर ट्रेनिंग एक तरह से क्लिकर की मदद से तुरंत प्रशंसा करने की विधि होती है। आप इसे अपने डॉग को ट्रीट देने या उसके सिर पर हाथ फेरने से ज्यादा जल्दी क्लिक कर सकते हैं। इस तरह से क्लिकर ट्रेनिंग आपके डॉग के अच्छा व्यवहार सीखने की स्पीड को तेज़ कर देता है, यह डॉग के सीखने के अनुसार ही काफ़ी तेज़ होती है। यह क्लिक की आवाज़ और पुरस्कारों के बीच एक पॉजिटिव कनेक्शन तैयार करती है। धीरे-धीरे, आपका डॉग अपने अच्छे व्यवहार के लिए क्लिकर की आवाज़ को ही पुरस्कार समझने लगेगा। आप किसी भी डॉग कमांड के लिए क्लिकर ट्रेनिंग का प्रयोग कर सकते हैं।
    • क्लिकर डिवाइस को क्लिक कीजिये, और फिर तुरंत बाद डॉग को ट्रीट दीजिये। इससे की वजह क्लिक की आवाज़ से एक पॉजिटिव कनेक्शन तैयार हो जाता है। बाद में, वह आवाज़ एक तरह का “इशारा” बन जाएगी, जिसके बजते ही डॉग को समझ आएगा कि उसने कुछ सही काम किया है।
    • जब आपका डॉग आपकी इच्छा के अनुसार कोई व्यवहार करता है, तो क्लिक की आवाज़ करें, और फिर उसे ट्रीट दें। अगर वो उस व्यवहार को लगातार करता है, तो आप उस व्यवहार को एक कमांड का नाम दे सकते हैं। अब आप कमांड और व्यवहार को क्लिकर की मदद से एक साथ करिए।
    • उदाहरण के लिए, अगर आप अपने डॉग को कभी भी “बैठना/सिट (sit) ” कमांड सिखाएं, तो क्लिक साउंड दें, एक ट्रीट दें और उसे बैठा देखकर प्रशंसा करें। जब वह सिर्फ ट्रीट्स पाने के लिए बैठने लगे, तो उसे उस पोजीशन में लाने के लिए “सिट (sit)” कहना शुरू कर दें। उसको शाबाशी देने के लिए इसकी साथ में क्लिक साउंड भी करें। धीरे-धीरे वो खुद ही समझ जाएगा कि "सिट" सुनने के बाद बैठने पर उसे क्लिक रिवॉर्ड मिलता है।
    कंसिस्टेंट (सुसंगत) बनें: अगर माहौल में अनुकूलता नहीं होगी, तो आपका डॉग यह नहीं समझ पाएगा कि आप उससे क्या चाहते हैं। हर उस इंसान को, जो आपके डॉग के साथ रहते हैं, उन्हें उसके ट्रेनिंग की भाषा समझना चाहिए और उनको लागू करने में मदद करना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर आप चाहते हैं कि आपका डॉग लोगों पर न कूदे, तो फिर बच्चों को भी रोकें, कि वो डॉग को अपने ऊपर न कूदने दें। अन्यथा आपके द्वारा दी गयी सारी ट्रेनिंग बेकार हो जायेगी।
    • साथ ही इस बात की पुष्टि भी कर लें, कि बाकी लोग भी आपके द्वारा डॉग की ट्रेनिंग में इस्तेमाल की जा रही और उसके द्वारा सीखी हुई सारी कमांड का सही इस्तेमाल कर रहे हैं। वो इंग्लिश नहीं बोलता है, और वो “सिट” और “सिट डाउन” में फर्क भी नहीं बता सकता है। इन शब्दों को बदल-बदल कर इस्तेमाल करके आप उसे कन्फ्यूज कर देंगे।
    • क्योंकि वो एक सीधी कमांड और एक एक्शन के बीच में स्पष्ट कड़ी नहीं बना पायेगा, तो इस वजह से कमांड के लिए उसकी प्रतिक्रिया या तो हिट होगी या मिस होगी।
    हमेशा ही सफलता और अच्छे व्यवहार के लिए उसे तारीफ़ करके पुरस्कृत कीजिये और कभी-कभी छोटी ट्रीट भी दिया करें: छोटी ट्रीट्स आपके डॉग को ट्रेनिंग के लिए प्रेरित करती हैं। हालाँकि ये ट्रीट एकदम छोटी, स्वादिष्ट और आसानी से चबानेवाली होनी चाहिए। आप ट्रेनिंग सेशन को बीच में नहीं रोकना चाहेंगे और न ही उसे बहुत जल्दी खत्म भी करना चाहेंगे।
    • इसके ऊपर ध्यान दीजिये कि उसे हार्ड ट्रीट खाने में और सेमी-मोइस्ट खाने में, जैसे “बिल जैक (Bill Jack)” या “ज्यूक्स मिनी नैचुरल्स (Zuke’s Mini Naturals)” खाने में कितना लगता है। आपका उसे एक पेन्सिल इरेज़र हेड के साइज़ का ट्रीट देना भी, उसे प्रेरित बनाए रखने के लिये काफ़ी है, और आपको बहुत देर तक अपने डॉग के द्वारा इसे खत्म करने का इंतजार भी नहीं करना होगा।
    जब जरूरत हो, तब “हाई वैल्यू (high value)” ट्रीट्स का प्रयोग करें: जब कठिन या महत्वपूर्ण कमांड सिखा रहे हों, तब उसका हौंसला बढ़ाने के लिए “हाई वैल्यू” ट्रीट्स का प्रयोग करें। उदाहरण के लिए, इसमें फ्रीज़-ड्राइड लिवर, रोस्टेड चिकेन ब्रेस्ट चंक्स, या टर्की लंच मीट शामिल हैं।
    • जैसे ही डॉग, उस कमांड को सीखता है, उसे हाई वैल्यू ट्रीट्स दीजिये और जैसे ही आपको ट्रेनिंग आगे बढ़ाना हो, तब फिर से उस ट्रीट्स को वापस ले आइये। लेकिन उसकी प्रशंसा हमेशा कीजिये।
    ख़ाली पेट ट्रेनिंग दीजिये: अपने डॉग को ट्रेनिंग देने के कुछ घंटे पहले तक एकदम खाने जितनी मात्रा में कुछ न खिलाएं। आपका डॉग जितना ज्यादा ट्रीट चाहेगा, उतना ही वह उस काम को सीखने में रूचि रखेगा, जिसको करने से उसे ट्रीट मिलती है।
ट्रेनिंग को हमेशा ही एक पॉजिटिव नोट पर ही बंद करिए: भले ही ट्रेनिंग सेशन अच्छा नहीं रहा और आपके डॉग ने नया कमांड नहीं सीखा, ट्रेनिंग का समापन कुछ ऐसे करिए जिसमें आप उसकी प्रशंसा कर सकें। ट्रेनिंग सेशन का समापन आप उसकी किसी ऐसी कमांड से करें, जिसे वो पहले से ही सीखा हुआ है, ऐसा करने से अगर उसे कोई चीज़ जो याद रहेगी, तो वो है आपका प्यार और आपकी प्रशंसा।
 
भौंकने को मना कीजिये: अगर आपका डॉग आप पर भौंकता है और आप नहीं चाहते हैं कि वो ऐसा करे, तो जब तक वह भौंकना बंद न करे आप उसे हतोत्साहित करें, और उसके बाद उसकी प्रशंसा करें। कभी-कभी वो आपका ध्यान अपनी तरफ करने के लिए और कभी-कभी निराशा के कारण भी भौंका करते हैं।
  • बॉल या कोई खिलौना न फेंकें। इससे उसे ऐसी शिक्षा मिलेगी कि अगर वो आप पर भौंकेगा, तो आप उसकी बात मान लेंगे।
  • अपने डॉग पर शांत होने के लिए न चिल्लायें, इससे उसे आपका ध्यान मिलेगा।
रस्सी में बाँध कर अपने डॉग को नियमित रूप से घुमाने ले जाएँ: ऐसा करना सिर्फ़ ट्रेनिंग के लिए ही नहीं, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। ये आपके पास मौजूद डॉग की प्रजाति पर भी निर्भर करता है कि हो सकता है, उसे ख़ुश और शेप में रहने के लिए बहुत ज़्यादा एक्सरसाइज़ की जरूरत हो सकती है।
खींचने को मना करिये: बहुत से डॉग जब घूमना सीखते हैं, तब रस्सी को खींचते हैं। जब वह खींचना शुरू करें, तब आप वहीँ पर रुक जाएँ। फिर तब तक अगला कदम ना बढाएं, जब तक डॉग आप की तरफ न आ जाये और अपना ध्यान आप के ऊपर न केन्द्रित करे।
दिशायें बदलें: एक और प्रभावी तरीका है कि आप उल्टी दिशा में जाएँ और डॉग को प्रोत्साहित करें कि वह आपके साथ चले। जब वो इसे समझ जाए, उसे प्रशंसा और ट्रीट दीजिये।
उसके लिए आप की तरफ होना आनंददायक बनाएं: वातावरण की खोजबीन करना, आपके डॉग का नेचुरल आदत होती है। आप उसके लिए आप की तरफ चलना और आकर्षक बनाना चाहेंगे। जब आप दिशायें बदलें तो एक ख़ुशदिल आवाज़ निकालें और जब वह आप की ओर आ जाये तब उसकी प्रशंसा करें।
बोलकर और व्यावहारिक कमांड का एक साथ इस्तेमाल करें: अब अगर डॉग लगातार आप की तरफ चलता है, आप इस बिहेवियर को एक नाम दे सकते हैं जैसे “हील” (heel) या “हमें जाने दो” (let’s go)

कमांड की वैल्यू को समझिये: “कम” (come) का प्रयोग तब किया जाता है, जब आप अपने डॉग को अपने पास बुलाना चाहते हैं। यह कमांड सशक्त रूप से जीवन बचानेवाला है, क्यूंकि अगर आपका डॉग खुल जाए तो यह उसको भागने से बचा सकता है।
अपने डॉग को “कम (come)” ट्रेनिंग के लिए तैयार करिए: आपको हमेशा इस ट्रेनिंग को अपने घर के अंदर ही (या अपने फेंसिंग वाले मैदान से) जिसमें खिंचाव कम हो, पर शुरू करना चाहिए। एक 6 फ़ुट की रस्सी अपने डॉग के कॉलर में बाँध दीजिये, ताकि आप उसका ध्यान आकृष्ट कर सकें और उसे भागने से रोक सकें।
अपने डॉग का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कीजिये: आपको अपने डॉग को अपनी ओर बुलाना है। आप इसे तेज़ आवाज़ वाले किसी खिलौने से, ख़ुशी के साथ ताली बजाकर या सिर्फ़ अपनी बाहें फ़ैलाकर कर सकते हैं। ये काम, उससे थोड़ी दूर जाकर और फिर रुककर भी किया जा सकता है, क्योंकि पीछा करना, डॉग की आदत ही होती है।
उसको अपनी तरफ़ बुलाने के लिए प्रेरित करने हेतु प्रशंसा और “प्रसन्न वाणी (happy voice)” का प्रयोग करें।
तुरंत प्रशंसा करें: अपने क्लिकर से आवाज़ करें, अपनी “प्रसन्न वाणी (happy voice)” में प्रशंसा करें, और जब वह आपकी तरफ़ आये तब उसे ट्रीट दें।
मौखिक कमांड और बिहेवियर कमांड को साथ-साथ इस्तेमाल करें: जैसे ही आपका डॉग यह समझने लगता है, कि उसे आपके पास आने पर पुरस्कार मिलेगा उसे मौखिक कमांड “कम” देना शुरू कर दें। जब वो इस कमांड के लिए प्रतिक्रिया दे, तो फिर से उसकी प्रशंसा करें और इसके साथ-साथ “गुड” (good), “गुड कम” (good come) कहें!”
अब इस ट्रेनिंग को पब्लिक प्लेस पर करना शुरू कर दें: क्यूंकि “कम (come)” कमांड किसी भी डॉग का जीवन बचा सकता है, इसलिए उसे इस कमांड को सुनना और प्रतिक्रिया देते आना चाहिए, फिर भले ही कितना ही विचलन क्यों न हो। अपने ट्रेनिंग सत्रों को अपने घर या घर के मैदान से सार्वजनिक पार्क में ले जाएँ। वहां पर अधिक दृश्य, साउंड्स और ऐसी महक मौजूद होंगी, जो उसका ध्यान आकर्षित करेंगी।
रस्सी की लम्बाई बढा दीजिये: आप ने ट्रेनिंग की शुरुआत, 6 फुट की रस्सी से की थी, लेकिन अब आपको अपने डॉग को लम्बी दूरियों से बुलाना होगा। लम्बाई बढ़ाने के लिए, दो रस्सियों को जोड़कर देखें।
जहाँ पर जगह चारों तरफ से घिरी हुई हो, उस वातावरण में डॉग को रस्सी खोल कर ट्रेनिंग दें: यह उसे लम्बी दूरी से भी आपके पास आना सिखाएगा।
रस्सी छोड़ कर ट्रेनिंग देने के लिए, किसी और में मदद करने के लिए कहिये। आप “पिंग-पोंग (ping-pong)” खेल सकते हैं और दोनों बारी-बारी डॉग को बुला सकते हैं।
उसे बड़े-बड़े पुरस्कार दीजिये: क्योंकि ये कमांड सीखना इतना ज्यादा जरूरी है, कि इसके लिए आपकी प्रशंसा भी कुछ असाधारण ही होना चाहिए। “कम” कमांड के लिए प्रतिक्रिया देना, आपके डॉग के दिन का सबसे अच्छा हिस्सा होना चाहिए।
इस कमांड के साथ में कोई भी नेगेटिव बात न जुड़ने दें: कोई बात नहीं यदि आप कितने भी खराब मूड में हैं, कभी भी गुस्से में "कम" न कहें। यदि आप उग्र हो रहे हैं कि आपके डॉग ने रस्सी छुड़ा ली और खुला पांच मिनट तक दौड़ता रहा, जब वह अंत में "कम" के प्रति प्रतिक्रिया में आया तो उसकी भरपूर तारीफ़ करें। याद रखें कि आपने उसके द्वारा की गयी अंतिम चीज़ की तारीफ़ की और अंतिम चीज़ जो उसने की वह था आप के पास आना।
● अगर वह चिल्ला रहा हो, झटका दे रहा हो, या आपके पास बुरी तरह से आ रहा हो, तब भी उस पर न चिल्लाएँ। एक बुरे अनुभव से आप वर्षों की ट्रेनिंग को अनकिया कर देंगे।
● एक बार "कम" कहने के बाद कुछ भी ऐसा न कहें जो आपके डॉग को पसंद न आये। जबकि आपको कमांड देने का प्रलोभन हो सकता है जब आप उसको नहलाना चाहें, उसके नाखून ट्रिम करने हों, या उसके कान साफ़ करने हों, "कम" कहने से हमेशा उसका मनोरंजन होना चाहिए।[५]
● अगर आपको कुछ ऐसा ही करना है, जो आपके डॉग को पसंद नहीं, तो फिर इस समय आप उसे कमांड देकर न बुलाएँ, इस के बजाय डॉग को स्वयं जाकर ले आयें। रास्ते में उसकी तारीफ़ करें, ताकि वो शांत रहे और काम करवा ले। बेशक, आप इस समय भी उसे ट्रीट दे सकते हैं।
फिर से बेसिक पर जाइये: अगर आपके मन में डर है, कि कहीं जाकर आपका डॉग खुला होने पर भाग जाता है और "कम" कमांड की अनसुनी कर देता है, तो फिर से उस पर रस्सी से बाँधकर ट्रेनिंग करें। तब तक रस्सी वाली ट्रेनिंग जारी रखें जब तक वह विश्वसनीय तरीक़े से "कम" कमांड को नहीं सुनता है।
  • कमांड की ट्रेनिंग में बहुत जल्दी न कीजिये। यह बहुत महत्वपूर्ण है और इसे आधे मन से नहीं किया जा सकता।
अपने डॉग के जीवन में ट्रेनिंग को हमेशा चालू रखें: क्योंकि ये बिहेवियर इतना ज़रूरी है, कि इसे उसके जीवन भर चालू रखना चाहिए। अगर आप बिना रस्सी के अपने डॉग को घुमाने ले जाते हैं, तो कमांड को लागू करने के लिए अपनी जेब में ट्रीट रखिये।
  • आपको अपने डॉग को ऐसी कमांड भी देना होगी, जिससे उसे समझ आए, कि उसका हर समय आपके साथ रहना भी सही नहीं है। कभी-कभी “फ्री” कहना, भी इसी को बताने का एक उदाहरण है, लेकिन इसका मतलब ये होगा, अब आपका डॉग पूरी तरह से फ्री है, अब जब तक कि आप उसे कोई कमांड नहीं दे देते, तब तक वो जो चाहे वो कर सकता है।
उसके साथ मस्ती अभी भी जारी रखें: आप भी ऐसा नहीं चाहेंगे, कि आपके डॉग को ऐसा लगे, कि वो जब भी आपके पास आता है, मस्ती खत्म हो जाती है, कोई रस्सी बाँध देता है, और वे वापस घर चले जाते हैं। अन्यथा, फिर इस वजह से आपको “कम्स” पर कम भरोसेमंद और कम ख़ुशी वाली प्रतिक्रियाएँ मिलेंगी। इसलिए, डॉग को पुकारें, उनकी तारीफ़ करें और जब वह आयें, तब उनको “फ्री” (free) कहकर वापस खेलने दें।
डॉग को कॉलर से पकड़ने की आदत डालिए: इसकी मौखिक कमांड से कोई समानता नहीं है। जब डॉग आपके पास आए, उसका कॉलर पकड़ लें, ताकि जब उन्हें कोई छुए तो वह उसको मजाक न समझें।
  • आप जब उसे "कम" के लिए पुरस्कार देने के लिए झुकें, तो उसकी कॉलर को पकड़ें और गर्दन के पास ठीक उसी तरह से सहलायें, जैसे आप उसको ट्रीट देते वक्त सहलाते हैं।[६]
  • कभी-कभार, लेकिन हमेशा नहीं, जब आप कॉलर पकड़ें तो रस्सी बंधी होनी चाहिए।
  • आप ऐसा भी कर सकते हैं कि उनके गले में छोटी रस्सी बांध दें और उन्हें फिर उसे “फ्री” कर दें। रस्सियों का मतलब होना चाहिए कि कुछ मनोरंजक होनेवाला है और हमें कुछ स्थानों पर जाना है। यहाँ पर कठिन संशोधनों के लिए कोई स्थान नहीं है।
"सुनो" (Listen) कमांड का मतलब समझिये: इसे "मुझे देखो (watch me)" कमांड भी बोला जा सकता है, "सुनो (Listen)" एक ऐसा पहला कमांड है, जो आपको अपने डॉग को सिखाना चाहिए। इसे आप अपने डॉग का ध्यान आकृष्ट करने के लिए सिखाएं ताकि आप उसे दूसरा कमांड या आदेश दे सकें। कुछ लोग "सुनो (Listen)" की जगह अपने डॉग के नाम का प्रयोग करते हैं। यह खासकर तब उपयोगी है, अगर आपके पास एक से अधिक डॉग है। उस तरह हर डॉग यह समझेगा कि कब आप उसका ध्यान चाहेंगे।
कुछ पर्याप्त ट्रीट्स तैयार रखिये: यह स्टोर से ख़रीदे हुए डॉग ट्रीट्स हो सकते हैं, या हॉट डॉग्स के छोटे छोटे टुकड़े भी। ऐसी ट्रीट चुनिए जो आपके डॉग को पसंद हो और जिसके लिए वह कुछ करने को तैयार हो।
अपने डॉग के पास खड़े हों: हालाँकि, आपको अभी उसके साथ में कुछ नहीं करना है। अगर वह आपकी उपस्थिति को प्रतिक्रिया देता है, चुपचाप खड़े रहें और बाहर देखते रहें, जब तक वह आपमें अपनी रूचि खो दे।
शांत लेकिन दृढ़ आवाज में "सुनो" कहें: अगर आप "सुनो" या "मुझे देखो" की जगह पर, अपने डॉग के नाम का इस्तेमाल करते आ रहे हैं, तो फिर आपके लिए उसका नाम लेना ही ठीक रहेगा। टोन और तीव्रता उतनी ही होनी चाहिए जितनी कि आप किसी व्यक्ति के नाम को उसे आकृष्ट करने के लिए प्रयोग करते हैं।
फिर धीरे-धीरे ट्रीट्स देना बंद कर दें: एक बार वो कमांड सीख जाए,, फिर आपको उसे करने के लिए ट्रीट नहीं देना चाहिये। इसके बाद भी, आपको क्लिकर का प्रयोग करना चाहिए और मौखिक प्रशंसा भी जारी रखना चाहिए।
  • डॉग की ट्रीट छुड़ाना भी जरूरी है, नहीं तो वो हमेशा ही आपसे ट्रीट की उम्मीद लगा सकता है। नहीं तो आखिर में आपके पास सिर्फ एक ऐसा डॉग होगा, जो केवल तभी परफॉर्म करेगा, जब आपके पास खाना हो।
  • अपने डॉग की तारीफ़ नियमित रूप से करें, जब उसने कमांड सीख लिया हो तब भी, लेकिन फिर ट्रीट जरा कम कर दें। इस तरह से ये कमांड आपके डॉग की डिक्शनरी में फिट हो जाएगा।
  • एक बार वो कमांड में पक्का हो जाए, तो इसके बाद आप इन ट्रीट को उसके बिहेवियर को और तेज़ करने या और सही बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके बाद वो शीघ्र ही इस बात को समझ लेगा, कि ट्रीट्स उन कमांडों के साथ मिलती हैं जो "सुनो (listen)" के बाद आते हैं।

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