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Navratri 2021: नौ दिनों में नौ देवियों को प्रसन्न करने के लिए पूजा विधि और मंत्र

Navratri 2021: नौ दिनों में नौ देवियों को प्रसन्न करने के लिए पूजा विधि और मंत्र सार नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी माँ के विशिष्ठ रूप को समर्पित होता है और हर स्वरूप की उपासना करने से अलग-अलग प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं।  विस्तार शारदीय नवरात्र का आज से शुभारंभ हो चुका है। नौ दिन माता के भक्त दुर्गाजी के नौ स्वरूपों की उपासना बड़े ही श्रद्धा भाव से करते हैं। नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी माँ के विशिष्ठ रूप को समर्पित होता है और हर स्वरूप की उपासना करने से अलग-अलग प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं।   1.माँ शैलपुत्री- पूजा विधि-  मां शैलपुत्री देवी पार्वती का ही स्वरूप हैं जो सहज भाव से पूजन करने से शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। कलश स्थापना के समय पीले वस्त्र पहनें और माँ को सफ़ेद मिष्ठान व सफ़ेद पुष्प चढ़ाकर माँ की आरती करें। स्तवन मंत्र- वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ 2. माँ ब्रह्मचारिणी- पूजा विधि - देवी को पंचामृत से स्नान कराएं, फिर अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें। सफे...

२०२१ नवरात्रि का तीसरा दिन: आज एक साथ है मां चंद्रघंटा और कूष्मांडा की पूजा का शुभ संयोग, जानिए मंत्र, पूजा-विधि, आरती और भोग

नवरात्रि २०२१ का तीसरा दिन: आज एक साथ है मां चंद्रघंटा और कूष्मांडा की पूजा का शुभ संयोग, जानिए मंत्र, पूजा-विधि, आरती और भोग नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग नौं स्वरुपों की पूजा करने का विधान है। इस समय शारदीय नवरात्रि आरंभ हो गए हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन मां भगवती की तृतीय शक्ति मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार तृतीया और चतुर्थी तिथि एक ही दिन पड़ रही है। जिसके कारण मां चंद्रघंटा और मां कूष्मांडा की पूजा का शुभ संयोग एक ही दिन बन रहा है। आज शारदीय नवरात्रि की तृतीया तिथि है और मां चंद्रघंटा के साथ कूष्मांडा माता का पूजन भी आज ही किया जाएगा। तृतीया और चतुर्थी एक ही दिन होने के कारण इस बार नवरात्रि का समापन भी आठ दिन में हो जाएगा। 07 अक्टूबर से नवरात्रि आरंभ हुई थी और नवरात्रि का समापन 14 अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार को होगा। फिलहाल जानते हैं मां चंद्रघंटा और कूष्मांडा का आरधाना मंत्र पूजा-विधि और भोग व आरती। पूजा विधि- सर्वप्रथम प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें। अब मां चंद्रघंटा और ...

श्री हनुमान चालीसा

श्री हनुमान चालीसा दोहा :   श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।    चौपाई :   जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।   महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।   कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा।।   हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेऊ साजै।   संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन।।   विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।   प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।   सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।   भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।।   लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।   रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।   सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।   सनकादिक ब्रह...